रायपुर/दुर्ग, 3 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ अब हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रमुख केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। राज्य के दुर्ग जिले के जामगांव (एम) में देश की सबसे आधुनिक और विशाल केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है। इस इकाई का उद्घाटन हाल ही में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा किया गया।
50 करोड़ रुपये सालाना उत्पादन, 2000 से अधिक लोगों को रोजगार
इस इकाई में हर वर्ष लगभग ₹50 करोड़ के आयुर्वेदिक उत्पादों का उत्पादन और प्रसंस्करण किया जाएगा। यह इकाई 27.87 एकड़ भूमि में फैली है और इसमें फार्मास्युटिकल ग्रेड मशीनों द्वारा चूर्ण, सिरप, तेल, अवलेह और टैबलेट के रूप में उत्पादन किया जाएगा।
इस इकाई से 2000 से अधिक स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, विशेषकर आदिवासी समुदायों और महिलाओं को वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण के कार्यों से आर्थिक लाभ पहुंचेगा।
फारेस्ट टू फार्मेसी: एक नया मॉडल
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ में “फॉरेस्ट टू फार्मेसी” मॉडल की शुरुआत की गई है। यह पहल वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूती देती है।
राज्य की नई उद्योग नीति में भी वनोपज प्रसंस्करण इकाइयों को थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया गया है, जिसमें विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।
इकाई का ढांचा और तकनीक
₹36.47 करोड़ की लागत से बनाए गए हैं:
क्वॉरेंटाइन बिल्डिंग, प्री-प्रोसेसिंग बिल्डिंग, मटेरियल स्टोरेज, मुख्य प्लांट यूनिट
हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट:
क्षेत्रफल: 6.04 एकड़, लागत: ₹23.24 करोड़, , प्रमुख औषधीय पौधे, गिलोय, कालमेघ, बहेड़ा, ,सफेद मूसली, जंगली हल्दी, गुड़मार, अश्वगंधा, शतावरी
PPP मोड में संचालन व विपणन
इस इकाई का संचालन, मशीन स्थापना और विपणन कार्य PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में किया जाएगा, जिससे गुणवत्ता नियंत्रण और निर्यात क्षमताएं और मजबूत होंगी।
निष्कर्ष:छत्तीसगढ़ अब सिर्फ खनिज और कृषि के लिए नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान बना रहा है। यह पहल न केवल स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देगी, बल्कि देशभर के लिए गुणवत्तायुक्त आयुर्वेदिक दवाओं का प्रमुख स्रोत भी बनेगी।