छत्तीसगढ़ी जबर हरेली महोत्सव: लोक परंपराओं, हरियाली और संस्कृति का अद्भुत संगम

हरेली — एक ऐसा त्यौहार जो केवल खेतों और हरियाली का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी लोक-जीवन, आस्था, परंपरा और संस्कृति का जश्न है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की अमावस्या को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों में हरेली का महत्व बहुत बड़ा होता है, पर अब यह पर्व शहरी क्षेत्रों जैसे भिलाई, रायपुर, दुर्ग, कांकेर, राजनांदगांव आदि में भी बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है।

🌿 हरेली का अर्थ और महत्व:

हरेली’ शब्द ‘हरियाली’ से बना है। यह त्योहार खेती, पर्यावरण और परंपरागत ज्ञान को समर्पित है। किसान अपने खेती के औजारों को साफ करते हैं, उनकी पूजा करते हैं और आने वाली फसल की अच्छी शुरुआत की कामना करते हैं।

🐃 पशुधन और पर्यावरण पूजा:

इस दिन बैल, गाय, और खेती के औजारों की पूजा होती है।

नीम की टहनी को घरों के दरवाजे पर लगाया जाता है, ताकि रोग दूर रहें।

बच्चों को नीम की पत्ती खिलाकर परंपरागत औषधीय लाभ भी दिया जाता है।

गांवों में झूला, नरवा-गरवा, गोठान, और पारंपरिक खेल आयोजित किए जाते हैं।

🎉 जबर हरेली महोत्सव एक नया रंग:

आज के समय में छत्तीसगढ़ी युवाओं और संगठनों ने इस त्यौहार को “जबर हरेली” के रूप में उत्सव में बदल दिया है। इसका उद्देश्य है — परंपरा को नया स्वरूप देकर नई पीढ़ी को जोड़ना।

🔻 जबर हरेली की प्रमुख विशेषताएं:

पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधान में युवा और महिलाएं

राउत नाचा, पंथी नृत्य, करमा गीत, सुआ नाच जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

छत्तीसगढ़ी भोज – ठेठरी, खुरमी, चीला, फरा, दही-चूड़ा

लोक कलाकारों का सम्मान

बैल सजावट प्रतियोगिता, झूला उत्सव और देसी खेल

📌 भिलाई में जबर हरेली की एक झलक:

छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम इस बार भिलाई में देखने को मिला, जहां हरेली महोत्सव के अवसर पर जबर जनसैलाब उमड़ पड़ा। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहा, बल्कि इसमें लोक कलाकारों, युवा नेताओं और छत्तीसगढ़ प्रेमियों की भी बड़ी भागीदारी रही।

इस वर्ष भिलाई में आयोजित जबर हरेली महोत्सव में हजारों लोग शामिल हुए।

प्रसिद्ध लोक कलाकार Amit Baghel और उनका Fans Club आकर्षण का केंद्र रहा।

Ajay Yadav और Dhirendra Sahu जैसे युवाओं की भागीदारी ने छत्तीसगढ़ी अस्मिता को और मजबूत किया।

हरेली के मंच से “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” का नारा गूंज उठा।

🌐 आधुनिकता में लोक संस्कृति की गूंज:

आज जब दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ रही है, जबर हरेली जैसे आयोजन हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। ये त्यौहार न केवल संस्कृति को जीवित रखते हैं, बल्कि युवाओं में गर्व और आत्म-गौरव का संचार भी करते हैं।

📸 सोशल मीडिया और प्रचार:

अब लोग इस उत्सव को Instagram Reels, YouTube Shorts, Facebook Live आदि के ज़रिये डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी वायरल कर रहे हैं। इससे हरेली की पहचान वैश्विक स्तर पर हो रही है।

🔖 निष्कर्ष:

जबर हरेली महोत्सव केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा है। इसमें मिट्टी की खुशबू है, बैलों की घंटी की गूंज है, लोक गीतों की मिठास है और एकता का संदेश है। जब परंपरा और नवाचार साथ मिलते हैं, तब होता है – जबर हरेली।

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