कांकेर। विकास के दावों के बीच जमीनी हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई है। करोड़ों की लागत से बनी कांकेर जिले की जामगांव-नरहरपुर सड़क महज एक साल में ही जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह गहरे गड्ढे, टूटी सतह और कीचड़ से भरे हिस्से न सिर्फ राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बने हैं बल्कि उनकी जान के लिए भी खतरा बन गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क इतनी खराब हो चुकी है कि अब उस पर चलना भी मुश्किल हो गया है। बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना चुनौती बन गया है। किसान अपनी उपज को बाजार तक नहीं ले जा पा रहे। दोपहिया वाहन चालक आए दिन हादसों का शिकार हो रहे हैं और पैदल चलने वाले भी जोखिम उठाने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है और भ्रष्टाचार ने पूरे काम को खोखला कर दिया। महज एक साल में सड़क का इस तरह जर्जर होना कहीं न कहीं इंजीनियरिंग और निगरानी तंत्र की नाकामी को भी दर्शाता है। बरसात ने स्थिति और बिगाड़ दी है।
जन आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि लोक निर्माण विभाग (PWD) ने तत्काल सड़क की मरम्मत नहीं की, तो वे आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति बर्बाद करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, वरना लापरवाह अधिकारियों और ठेकेदारों को राजनीतिक संरक्षण मिलने का संदेश जाएगा।
जिम्मेदारी पर सवाल
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस बदहाल सड़क का जिम्मेदार कौन है? करोड़ों खर्च करने के बावजूद यह सड़क साल भर भी नहीं टिक पाई। ग्रामीण अब जानना चाहते हैं कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी कागजों में दबकर रह जाएगा।