जैसे ही मानसून दस्तक देता है, रायगढ़ जिले में सर्पदंश (सांप काटने) के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी जाती है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायगढ़ से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले 911 दिनों (जनवरी 2023 से जून 2025) के दौरान 642 लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं, जिनमें से 49 लोगों की मौत हो चुकी है।
🧪 पुरुषों में ज्यादा मामले, 21 प्रजातियों के सांप
सांपों से जुड़े मामलों में पुरुषों का आंकड़ा महिलाओं की तुलना में अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, 402 पुरुष और 240 महिलाएं सर्पदंश की चपेट में आईं।
रायगढ़ जिले में करीब 21 प्रकार की सांपों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कुछ अत्यंत जहरीले, कुछ हल्के जहरीले और कुछ बिल्कुल भी विषहीन होते हैं।
🏥 इलाज के बावजूद 49 की गई जान
मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के मेडिसिन विभाग के डॉ. जितेन्द्र नायक ने जानकारी दी कि कई मामलों में मरीज समय पर अस्पताल पहुंचे, लेकिन फिर भी 49 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी।
उनका कहना है कि करीब 80% सर्पदंश के मामलों में जहर नहीं होता, और लगभग 50% मरीजों में कोई गंभीर लक्षण नहीं पाए जाते, फिर भी समय पर इलाज न होने से स्थिति बिगड़ सकती है।
📈 जून-जुलाई में सबसे ज्यादा केस
बारिश का मौसम, खासकर जून और जुलाई, सर्पदंश के मामलों के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है।
जून-जुलाई 2023 में: 80 मामले
जून-जुलाई 2024 में: 101 मामले
जून 2025 में ही: 57 मामले दर्ज
🐍 लगातार बढ़ रहे रेस्क्यू कॉल
सर्परक्षक एनिमल समिति के अध्यक्ष लोकेश मालाकार ने बताया कि मानसून सांपों के भोजन और प्रजनन का समय होता है, इसलिए अधिकतर प्रजातियाँ अपने बिलों से बाहर निकलती हैं।
इसी कारण बारिश के मौसम में रेस्क्यू कॉल की संख्या में भी काफी इजाफा होता है।
🐾 जंगलों से निकल शहर तक पहुँच रहे सांप
समिति के संरक्षक विनितेश तिवारी ने बताया कि रायगढ़ क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके चलते वन्यप्राणियों का रहन-सहन आम बात है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सांपों की संख्या और शहर/गांवों में उनकी मौजूदगी में तेज़ी आई है।
अब जहरीले और विषहीन दोनों तरह के सांप शहरों और गांवों तक पहुंच कर लोगों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
⚠️ क्या करें यदि सांप काट ले:
घबराएँ नहीं, व्यक्ति को शांत रखें
प्रभावित हिस्से को हिलने न दें
तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जाएँ
झाड़-फूंक या घरेलू उपचार में समय बर्बाद न करें
रायगढ़ जिले में सर्पदंश की यह स्थिति स्वास्थ्य जागरूकता, समय पर इलाज और बचाव के उपायों की आवश्यकता को दर्शाती है। मानसून के मौसम में विशेष सतर्कता बरतना ही सबसे बड़ा बचाव है।