नक्सल प्रभावित पूवर्ती गांव से निकला उजाले का अर्जुन: नवोदय विद्यालय में चयनित होकर रचा इतिहास

सुकमा, छत्तीसगढ़।
नक्सलवाद की चपेट में रहे बस्तर के दुर्गम गांवों से अब बदलाव की नई कहानियाँ सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है माडवी अर्जुन की, जो सुकमा जिले के अति-संवेदनशील गांव पूवर्ती से ताल्लुक रखता है — वही पूवर्ती जो कभी कुख्यात माओवादी कमांडर हिड़मा का पैतृक गांव था।

🔹 विषम परिस्थितियों से लड़कर अर्जुन ने पाया नवोदय विद्यालय में स्थान

अर्जुन ने जवाहर नवोदय विद्यालय, पेंटा (दोरनापाल) की छठवीं कक्षा में चयनित होकर वह उपलब्धि हासिल की है, जो पूरे बस्तर अंचल के लिए उम्मीद की एक नई किरण बन गई है। यह केवल एक बालक की सफलता नहीं, बल्कि बस्तर में शिक्षा के उजाले की शुरुआत है।

🔹 जहां कभी लगती थी माओवादी जन अदालत, अब गूंज रही है शिक्षा की घंटी

पूवर्ती गांव, जो कभी माओवादियों का गढ़ माना जाता था, अब विकास की राह पर अग्रसर है। पहले जहां भय, आतंक और पिछड़ेपन का वातावरण था, अब वहां सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, गुरुकुल विद्यालय और उचित मूल्य की दुकानें दिखाई दे रही हैं। सुरक्षा बलों की निगरानी में संचालित गुरुकुल ने बच्चों को पढ़ाई के लिए सुरक्षित और सकारात्मक माहौल देना शुरू किया है।

🔹 घर में न बिजली, न छत — फिर भी आगे बढ़ा अर्जुन

माडवी अर्जुन के घर में न बिजली है, न पक्की छत। माता-पिता खेती और मजदूरी कर परिवार का पालन करते हैं। इसके बावजूद, बालक आश्रम सिलगेर में पढ़ते हुए अर्जुन ने आश्रम के शिक्षकों के सहयोग और अपनी मेहनत के दम पर यह सफलता हासिल की।

🔹 शासन की योजनाएं रंग ला रही हैं

बीते डेढ़ साल में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान और विकास कार्यों ने बस्तर के कोने-कोने में आशा की लहर दौड़ा दी है। शिक्षा, सुरक्षा और समर्पण के इस त्रिकोण ने माडवी अर्जुन जैसे बच्चों को नई उड़ान दी है।

🔹 प्रशासन और मुख्यमंत्री की सराहना

सुकमा कलेक्टर श्री देवेश ध्रुव ने कहा,

“यह सफलता सिर्फ अर्जुन की नहीं, बल्कि पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था और बदलाव की जीत है। हम हर बच्चे को मौका देना चाहते हैं।”

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने भी अर्जुन की सफलता पर बधाई देते हुए कहा,

“अर्जुन की सफलता छत्तीसगढ़ की बदलती तस्वीर है। अब पूवर्ती जैसे गांव से हजारों अर्जुन निकलेंगे जो भविष्य संवारेंगे।”


🔹 निष्कर्ष

माडवी अर्जुन की यह कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि बदलते बस्तर और शिक्षा की शक्ति की पहचान है। एक ऐसा बदलाव, जो अब पूवर्ती से शुरू होकर पूरे बस्तर को प्रकाशित करेगा। यह केवल शुरुआत है — अब अर्जुनों की कतार लगेगी, और बस्तर विकास की नई इबारत लिखेगा।

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